Friday 19 June 2015

घड़वा कला

छत्तीसगढ़ में बस्तर की घडवा कला अथवा ढोकरा कला विश्व प्रसिद्ध है। मिट्टी, मोम और धातु की सम्मिलित है इस कलासाधना से जो सृजित होता है, उसके प्रति मन सहज ही आकर्षित होता है। इसमें कलाकृति धातु की बनती है लेकिन कलाकार उसे मोम में साधता है। बस्तर में मुख्य रूप से से घसिया जनजाति ने घड़वा कला को साधा और शिखर तक पहुँचाया। घसिया के रूप में इस जनजाति को पहचान रियासतकाल में उनके कार्य को ले कर हुई। जानकार कहते हैं कि ये जनजाति दिनो घोड़ों के लिए घास काटने का कार्य किया करती थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि घड़वा कला को किसी काल विशेष से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। मोहनजोदाडो में ईसा से तीन हजार साल पहले प्राप्त एक नृत्य करती लड़की की प्रतिमा लगभग उसी तकनीक पर आधारित है जिसपर बस्तर का घड़वा शिल्प आज कार्य कर रहा है।

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